Wednesday 5 September 2018

*इजहार*

बड़े अरसों से मोहब्बत की थी उससे।
दिल की बात अपनी करने जा रहा था मैं आज जिससे।।

पल-पल उस ही पर मैं मरता हूँ,
शायद इसलिए इज़हार करने से डरता हूँ।।

दूर खड़ी थी वो सूट लाल था उसने पहना।
उसकी वो मासूम-सी मुस्कान थी उसका सबसे कीमती गहना।।
कदम जो मैंने थे उसकी ओर बढ़ाये,
वो धीमे-से मुस्कुराई शायद उसको भी था कुछ कहना।।

उसके नजदीक जो पहुँचा  दिल मेरा थम-सा गया।
जहाँ था खड़ा मैं वही बस जम-सा गया।।

फिर बड़ी मुश्किलों से आँखें मैंने उससे मिलायी।
आज मुझे देखकर वो पागल भी शरमायी।।
जान चुकी थी शायद इरादे मेरे,
तभी बड़ी शरारत से उसने नजरें मुझसे चुरायी।।

दिल में याद किया  खुदा को,
और हाथ उसका मैने थाम लिया।
बहुत बेचैन-सा था मैं,
बस यूँ समझ लो पहली मर्तबा इश्क़ वाला जाम लिया।।

हिम्मत जुटायी और इज़हार मैंने उसे कर दिया।
अपनी मोहब्बत की शिद्दत से बेकरार मैंने उसे कर दिया।।

ये सुनकर वो पास मेरे आयी।
आज पहली मर्तबा वो बिल्कुल ना थी घबरायी।
झट से उसने गले से मुझे लगाया,
कान मे बोली पागल इतनी-सी बात कहने में इतनी देर क्यों लगायी!?
निसार मलिक

Thursday 23 August 2018

मैं ऐसा क्या लिखु आखिर कि वो बस मेरी हो जाये।
कोई तो होगा रास्ता जिससे वो मेरे संग वक़्त बिताये।।
वो सुने  मुझे और अपनी सब बात बस मुझे बताये।
मेरा हक़ हो उस पर और वो मुझ पर अपना हक जताये।।
मैं पढ़ूँ गजलें उसके लिए और वो मेरे लिए गुनगुनाये।
मेरे संग वो देखे सब और अपनी नजरो से मुझे सब दिखाये।

मैं उसका होने का गुमान करू और वो मेरी होने पर इतराये।।
मैं सच मानू उसे और वो मेरी खातिर सबको झुठलाये।।
मैं आऊँ ख्वाबो में उसके और वो मेरी हकीकत बन जाये।।
मैं बाँटू अपनी हर खुशी संग उसके और वो अपना सारा गम मेरे साथ बाँट जाये।
मैं शान से ले सकूँ नाम उसका और वो  मेरा नाम आते ही मुस्कुराये।।
मैं राजकुमारी बना लू उसे और वो मुझे सपनो का राजकुमार बताये।
मैं खिलाऊँ अपने हाथों से उसे और वो मेरे ही साथ खाये।
मैं इश्क़ करू जाहिर सामने उसके और वो झट से मान जाये।
मैं ऐसा क्या लिखूं आखिर की वो बस मेरी हो जाये।।
निसार मलिक

Saturday 18 August 2018

बताओ मुझे याद करोगे क्या?

मैं अगर यूँ ही किसी दिन रुठ कर तुमसे चला जाऊं।
कहाँ जा रहा हूँ ये भी अगर किसी को ना बताऊँ।
लौट कर ना फिर कभी वापस आऊँ।।
खामोशी में कही खो सा जाऊँ,
अपनी ही दुनिया में सो सा जाऊँ।
बताओ मुझे याद करोगे क्या?
मुझे फिर से पाने के लिये जहाँ से लड़ोगे क्या??

मैं अगर तुम्हारी महफ़िलो में आना छोड़ दूँ।
हाल अपना तुम्हे बताना छोड़ दूँ,
हक़ भी तुम पर अपना जताना छोड़ दूँ,
मोहब्बत, नफरत सब दिखाना छोड़ दूँ।
नजर भी यूँ ही तुमसे मिलाना छोड़ दूँ,
बार-बार यूँ ही तुम्हे सताना छोड़ दूँ।
चाहता कितना हूँ तुम्हे ये भी बताना छोड दूँ।
और किसी दिन चुपके से ये जमाना छोड़ दूँ।
बताओ मुझे याद करोगे क्या?
मुझे फिर से पाने के लिये जहाँ से लड़ोगे क्या??

तुम्हारी नजरें ना कर पाये अगर दीदार मेरा।
हद से ज्यादा अगर बढ़ जाये इन्तेजार मेरा।।
तुम महसूस फिर कभी ना कर पाओ ये शिद्दत
 वाला प्यार मेरा।
कही गुम ही हो जाये अगर घर-बार मेरा।।
स्विच ऑफ ही आये अगर नंबर हर बार मेरा।
यूँ ही पड़ा मिले खत अगर कही बेकार मेरा।
मुझे याद करता दिखे अगर तुम्हें कही यार मेरा।
बताओ तुम भी मुझे याद करोगे क्या?
मुझे फिर से पाने के लिये जहाँ से लड़ोगे क्या??

निसार मलिक




Friday 8 June 2018

पहला प्यार......

मेरी पहली नजर का प्यार और मेरा पहला प्यार हो तुम।
 सदियों से करता आ रहा हूँ जो मेरा वो इन्तिजार हो तुम।।
तुम पूछती हो ना मेरी क्या लगती हो,
तो सुन लो -मेरी इस सल्तनत की सरकार हो तुम।
मेरी पहली नजर का प्यार और मेरा पहला प्यार हो तुम।।


 तन्हा राहो में, बेचैन निगाहों में, बेअदब अदाओ में।
 हर कही इस दिल-ए-नादान की दरकार हो तुम।।
मेरी हर रात का सवेरा, मेरे दुश्मनों के लिए अंधेरा,
 मेरी खुशियों का बसेरा और मेरा सत्कार हो तुम।
अब तुम्हे कैसे बताऊ मेरे लिए क्या हो तुम?
बस इतना जान लो मेरे इस मासूम दिल की पुकार हो तुम।
 मेरी नरम-दिली और मेरा अहंकार हो तुम।।
 मेरी पहली नजर का प्यार और मेरा पहला प्यार हो तुम।।

 निसार मलिक

Saturday 23 December 2017

तुम समझ लो तुम्हे उससे प्यार है,,

दिल अगर तुम्हारा बेवजह खिलखिलाने लगे..
लब अगर तुम्हारे यूही मुस्कुराने लगे...
तुम समझ लो तुम्हे उससे प्यार है,,
अगर उसकी याद तुम्हे खुद से ज्यादा आने लगे।।
अगर तुम तनहा यूँही घूमने लगो।
दिन भर बस उसी को ढूंढने लगो।।
तुम समझ लो तुम्हे उससे प्यार है,,
अगर तुम उसके दिये तोहफ़ों को चूमने लगो।।
आँखे अगर तुम्हारी बस उसी को देखें।
और दिल तुम्हारे बस उसी के लिये चहके।।
तुम समझ लो तुम्हे उससे प्यार है,,
अगर उसके सामने आने से तुम्हारा दिल बहके।।
उसको देखकर अगर तुम्हारी नजर झुकने लगे।
उसके दर्द से अगर दिल तुम्हारा भी दुखने लगे।।
तुम समझ लो तुम्हे उससे प्यार है,,
अगर उसको देखे बिना साँसे तुम्हारी रुकने लगे।।
उससे बातें करना अगर तुम्हारी आदत हो जाये।
उसको याद करना अगर तुम्हारी इबादत हो जाये।।
तुम समझ लो तुम्हे उससे प्यार है,,
अगर उसकी ख़ुशी तुम्हारे लिए राहत हो जाये।।
निसार मलिक।

*इजहार* बड़े अरसों से मोहब्बत की थी उससे। दिल की बात अपनी करने जा रहा था मैं आज जिससे।। पल-पल उस ही पर मैं मरता हूँ, शायद इसलिए इज़हार ...